सुप्रभात !
आशा है आप स्वस्थ व सुरक्षित होंगे।
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https://docs.google.com/
नीचे दिए अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ प्रश्नों के उतर दीजिये -
बाबा भारती के पास सुल्तान नाम का घोड़ा था वे उससे बहुत प्यार करते थे। खड़गसिंह नाम का डाकू उसे पाना चाहता था।
बाबा भारती सुल्तान की पीठ पर सवार होकर घूमने जा रहे थे। इस समय उनकी आँखों में चमक थी, मुख पर प्रसन्नता। कभी घोड़े के शरीर को देखते, कभी उसके रंग को और मन में फूले न समाते थे। सहसा एक ओर से आवाज आई, "ओ बाबा, इस कंगले की सुनते जाना।"
आवाज में करुणा थी। बाबा ने घोड़े को रोक लिया। देखा, एक अपाहिज वृक्ष की छाया में पड़ा कराह रहा है। बोले, "क्यों तुम्हें क्या कष्ट है?"
अपाहिज ने हाथ जोड़कर कहा, "बाबा, मैं दुखियारा हूँ। मुझ पर दया करो। रामावाला यहाँ से तीन मील है, मुझे वहाँ जाना है। घोड़े पर चढ़ा लो, परमात्मा भला करेगा।"
"वहाँ तुम्हारा कौन है?"
"दुर्गादत्त वैद्य का नाम आपने सुना होगा। मैं उनका सौतेला भाई हूँ।"
बाबा भारती ने घोड़े से उतरकर अपाहिज को घोड़े पर सवार किया और स्वयं उसकी लगाम पकड़कर धीरे - धीरे चलने लगे। सहसा उन्हें एक झटका-सा लगा और लगाम हाथ से छूट गई। उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा, जब उन्होंने देखा कि अपाहिज घोड़े की पीठ पर तनकर बैठा है और घोड़े को दौड़ाए लिए जा रहा है। उनके मुख से भय, विस्मय और निराशा से मिली हुई चीख निकल गई। वह अपाहिज डाकू खड़गसिंह था। बाबा भारती कुछ देर तक चुप रहे और कुछ समय पश्चात् कुछ निश्चय करके पूरे बल से चिल्लाकर बोले, "जरा ठहर जाओ।"
खड़गसिंह ने यह आवाज सुनकर घोड़ा रोक लिया और उसकी गरदन पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा, "बाबाजी, यह घोड़ा अब न दूँगा।"
"परंतु एक बात सुनते जाओ।" खड़गसिंह ठहर गया।
बाबा भारती ने निकट जाकर उसकी ओर ऐसी आँखों से देखा जैसे बकरा कसाई की ओर देखता है और कहा, "यह घोड़ा तुम्हारा हो चुका है। मैं तुमसे इसे वापस करने के लिए न कहूँगा। परंतु खड़गसिंह, केवल एक प्रार्थना करता हूँ। इसे अस्वीकार न करना, नहीं तो मेरा दिल टूट जाएगा।"
"बाबाजी, आज्ञा कीजिए। मैं आपका दास हूँ, केवल घोड़ा न दूँगा।"
"अब घोड़े का नाम न लो। मैं तुमसे इस विषय में कुछ न कहूँगा। मेरी प्रार्थना केवल यह है कि इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना।"
खड़गसिंह ने बहुत सोचा, बहुत सिर मारा, परंतु कुछ समझ न सका। हारकर उसने अपनी आँखें बाबा भारती के मुख पर गड़ा दीं और पूछा, "बाबाजी, इसमें आपको क्या डर है?"
सुनकर बाबा भारती ने उत्तर दिया, "लोगों को यदि इस घटना का पता चला तो वे दीन - दुखियों पर विश्वास न करेंगे।" यह कहते - कहते उन्होंने सुल्तान की ओर से इस तरह मुँह मोड़ लिया जैसे उनका उससे कभी कोई संबंध ही नहीं रहा हो।
बाबा भारती चले गए। परंतु उनके शब्द खड़गसिंह के कानों में उसी प्रकार गूँज रहे थे। खड़गसिंह आज जीत कर भी हार गया था और बाबा हार कर भी जीत गए थे।
प्रश्न -
क) बाबा के घोड़े का क्या नाम था ?
ख )अपाहिज ने बाबा भारती से क्या प्रार्थना की ?
ग ) अपाहिज ने घोड़े पर बैठते ही क्या किया ?
घ) वास्तव में अपाहिज कौन था ?
ड़ ) बाबा ने खड़गसिंह से क्या प्रार्थना की ?
च) बाबा यह घटना सबसे क्यों छुपाना चाहते थे ?
झ ) बाबा की बात सुन कर खड़गसिंह को कैसा लगा ?
स्वस्थ व सुरक्षित रहिए।
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नीचे दिए अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ प्रश्नों के उतर दीजिये -
बाबा भारती के पास सुल्तान नाम का घोड़ा था वे उससे बहुत प्यार करते थे। खड़गसिंह नाम का डाकू उसे पाना चाहता था।
बाबा भारती सुल्तान की पीठ पर सवार होकर घूमने जा रहे थे। इस समय उनकी आँखों में चमक थी, मुख पर प्रसन्नता। कभी घोड़े के शरीर को देखते, कभी उसके रंग को और मन में फूले न समाते थे। सहसा एक ओर से आवाज आई, "ओ बाबा, इस कंगले की सुनते जाना।"
आवाज में करुणा थी। बाबा ने घोड़े को रोक लिया। देखा, एक अपाहिज वृक्ष की छाया में पड़ा कराह रहा है। बोले, "क्यों तुम्हें क्या कष्ट है?"
अपाहिज ने हाथ जोड़कर कहा, "बाबा, मैं दुखियारा हूँ। मुझ पर दया करो। रामावाला यहाँ से तीन मील है, मुझे वहाँ जाना है। घोड़े पर चढ़ा लो, परमात्मा भला करेगा।"
"वहाँ तुम्हारा कौन है?"
"दुर्गादत्त वैद्य का नाम आपने सुना होगा। मैं उनका सौतेला भाई हूँ।"
बाबा भारती ने घोड़े से उतरकर अपाहिज को घोड़े पर सवार किया और स्वयं उसकी लगाम पकड़कर धीरे - धीरे चलने लगे। सहसा उन्हें एक झटका-सा लगा और लगाम हाथ से छूट गई। उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा, जब उन्होंने देखा कि अपाहिज घोड़े की पीठ पर तनकर बैठा है और घोड़े को दौड़ाए लिए जा रहा है। उनके मुख से भय, विस्मय और निराशा से मिली हुई चीख निकल गई। वह अपाहिज डाकू खड़गसिंह था। बाबा भारती कुछ देर तक चुप रहे और कुछ समय पश्चात् कुछ निश्चय करके पूरे बल से चिल्लाकर बोले, "जरा ठहर जाओ।"
खड़गसिंह ने यह आवाज सुनकर घोड़ा रोक लिया और उसकी गरदन पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा, "बाबाजी, यह घोड़ा अब न दूँगा।"
"परंतु एक बात सुनते जाओ।" खड़गसिंह ठहर गया।
बाबा भारती ने निकट जाकर उसकी ओर ऐसी आँखों से देखा जैसे बकरा कसाई की ओर देखता है और कहा, "यह घोड़ा तुम्हारा हो चुका है। मैं तुमसे इसे वापस करने के लिए न कहूँगा। परंतु खड़गसिंह, केवल एक प्रार्थना करता हूँ। इसे अस्वीकार न करना, नहीं तो मेरा दिल टूट जाएगा।"
"बाबाजी, आज्ञा कीजिए। मैं आपका दास हूँ, केवल घोड़ा न दूँगा।"
"अब घोड़े का नाम न लो। मैं तुमसे इस विषय में कुछ न कहूँगा। मेरी प्रार्थना केवल यह है कि इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना।"
खड़गसिंह ने बहुत सोचा, बहुत सिर मारा, परंतु कुछ समझ न सका। हारकर उसने अपनी आँखें बाबा भारती के मुख पर गड़ा दीं और पूछा, "बाबाजी, इसमें आपको क्या डर है?"
सुनकर बाबा भारती ने उत्तर दिया, "लोगों को यदि इस घटना का पता चला तो वे दीन - दुखियों पर विश्वास न करेंगे।" यह कहते - कहते उन्होंने सुल्तान की ओर से इस तरह मुँह मोड़ लिया जैसे उनका उससे कभी कोई संबंध ही नहीं रहा हो।
बाबा भारती चले गए। परंतु उनके शब्द खड़गसिंह के कानों में उसी प्रकार गूँज रहे थे। खड़गसिंह आज जीत कर भी हार गया था और बाबा हार कर भी जीत गए थे।
प्रश्न -
क) बाबा के घोड़े का क्या नाम था ?
ख )अपाहिज ने बाबा भारती से क्या प्रार्थना की ?
ग ) अपाहिज ने घोड़े पर बैठते ही क्या किया ?
घ) वास्तव में अपाहिज कौन था ?
ड़ ) बाबा ने खड़गसिंह से क्या प्रार्थना की ?
च) बाबा यह घटना सबसे क्यों छुपाना चाहते थे ?
झ ) बाबा की बात सुन कर खड़गसिंह को कैसा लगा ?
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Good Morning Ma'am
ReplyDeleteTalha Ansari
10-D
good morning ma'am
ReplyDeleteGood morning ma'am
ReplyDeleteSiddhartha kuswaha
Good morning ma'am
ReplyDeleteAdavya Dhir
Good morning ma'am
ReplyDeleteShaurya Shil
Good Morning Mam
ReplyDelete-Ojas Girotra
Good morning ma'am
ReplyDeleteAkshat Verma
Good morning ma'am
ReplyDeleteHarsh Vardhan Mishra
good morning ma'am
ReplyDeletegood morning ma'am
ReplyDeletejoel reji
Good morning ma'am
ReplyDeleteMadhur Basra
PRESENT
ReplyDeleteAARON GARI
Good morning ma'am
ReplyDeleteSidh Chichra
Good morning ma'am
ReplyDeleteGood morning ma'am
ReplyDeleteHemang Nagpal
10 A
Samarth Alexander
ReplyDelete10-A
Good morning ma’am
ReplyDeleteAryan Anand
Good morning ma'am
ReplyDeleteRyan Stephen 10-A
GOOD MORNING MA'AM
ReplyDeleteAAROHAN DAYAL 10-A
Good morning ma'am
ReplyDeleteNikhil Singh
10 A
Good morning ma'am
ReplyDeleteTuan Muan Lal
Good morning ma'am
ReplyDeleteKennard Rence William
Good Morning Mam
ReplyDeleteTanmay Sopra 10-A
Good Morning Ma'am
ReplyDelete-Pratham Chhabra
10-D
Good Morning Mam
ReplyDeleteAnmol Singh
Good morning mam
ReplyDeleteJeremiah Paul XA.
Suprabhaat adhyapika ji
ReplyDeleteRahul x-a
Good morning ma'am
ReplyDeleteAaryan Bhardwaj
10-A
Good Morning Ma'am
ReplyDeleteShaun Ramsay X-A
Good morning ma'am
ReplyDelete-Geet, X-A
Good morning maam
ReplyDeleteAnuj Xavier
X-A
Good morning mam
ReplyDeleteNihar Naidu 10 A
Good morning ma'am
ReplyDeleteAyaan Edward
Good morning ma'am
ReplyDeleteAyaan Edward
Good morning mam
ReplyDeleteAlbin Paulose
X-A
Good Morning Mam
ReplyDeleteMadhav Sharma
10-A
Good morning ma'am
ReplyDeleteAditya Narayan
10 A
Good morning Ma'am
ReplyDeleteXD
Good morning mam
ReplyDeletePeter Biju
Class 10 A
Aayush kumar
ReplyDelete10 A
Dhruv Toppo 10-A
ReplyDeleteHimanshu singh
ReplyDeleteX-A
SHAAN DEEP YADAV
ReplyDelete10-A
Good Morning Ma'am
ReplyDeleteSidharth Jain
10 A
Good morning mam
ReplyDeleteKaushal 10- A
Good morning ma'am
ReplyDeleteAryan francis
X-A
Good afternoon ma'am Ng.Samuel
ReplyDeleteGood afternoon ma'am
ReplyDeleteGood afternoon mam
ReplyDeleteJapmann singh