Saturday, April 4, 2020

class-10


सुप्रभात
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कबीर
इनका जीवन काल १३९८ से १५१८ रहा
ये माना जाता है कि उनका जन्म काशी में हुआ
वे गुरु रामानन्द के शिष्य थे
कबीर के दौर में राजनैतिक ,धार्मिक और सामाजिक क्रान्तियाँ अपने चरम पर थीं
इसकी झलक उनके साहित्य में मिलती है
उनकी कविताओं में सामाजिक चेतना की झलक मिलती है
उन्होंने बाह्याडंबरों (बाहरी दिखावे )पर चोट की
कबीर के दोहे साखी कहलाते हैं क्योंकि उनसे सीख मिलती है
कबीर की भाषा पूर्वी जनपद की भाषा है
उनकी भाषा में अवधी ,राजस्थानी ,पंजाबी और भोजपुरी भाषा के शब्दों का समावेश है
इसलिए उनकी भाषा पंचमेल खिचड़ी कहलाती है
साधु संगति के कारण उनकी भाषा सधुककड़ी कहलाती है
कबीर का जीवन से आप सीख सकते हैं कि ज्ञान पर सबका अधिकार है
आप जीवन के अनुभव से बहुत कुछ सीख सकते हैं

इसकी सहायता से आप कबीर का परिचय समझ सकते है

कक्षा कार्य : 
कबीर की भाषा की विशेषताएं लिखिए
कबीर के दोहों को साखी क्यों कहते है ?
इन आठ साखियों में कबीर ने नीतिपरकता , प्रेम तथा भक्ति जैसी गूढ बातों को बड़ी ही सरलता से स्पष्ट किया है।  
अब हम साखियों की व्याख्या पढेंगे  व समझेंगे। 
ऐसी वाणी ________________________ सुख होइ।।

व्याख्या : प्रस्तुत दोहे में कबीर जी ऐसी वाणी बोलने का आग्रह कर रहे हैं जो मन के अहंकार को दूर करती है , जो अपना तन 
तो शीतल   रखती ही हो , साथ ही दूसरों को भी सुख प्रदान करती हो। तात्पर्य यह  है की हमारे तन को शीतलता प्रदान करे 
तथा सुनने  वाले को भी मानसिक सुख प्रदान करे।  

- "बानी -बोलिये" में अनुप्रास अलंकार है।

कस्तूरी कुंडली ________________________ नाहिं।।
व्याख्या: कबीरदास जी इस दोहे के द्वारा ईश्वर   की महत्ता स्पष्ट करते हुए कहते हैं की कस्तूरी तो हिरन की नाभि में स्थित होती है , परन्तु वह उसे वन में ढूँढ़ता  फिरता है अथार्त  वह अपने अंदर बसी कस्तूरी को नहीं पहचान पाता है यही स्तिथि मनुष्य  की भी है। ईश्वर  तो प्रत्येक ह्रदय में निवास करता है और मनुष्य  उसे इधर-उधर ढूँढता फिरता है अथार्त मनुष्य अपने भीतर ईश्वर को न ढूँढ  कर उसे प्राप्त करने के लिए , स्थान-स्थान पर यानी धार्मिक स्थानों में भटकता रहता है। 

" कस्तूरी-कुंडली", "दुनिया-देखे" - में अनुप्रास अलंकार है।  
"घटि -घटि " में पुनरुक्ति  प्रकाश अलंकार है।  
जब में था ________________ माहि।। 
व्याख्या: कबीरदास जी कहते हैं कि  जब तक मेरे अंदर अहंकार था , तब तक मुझे ईश्वर की प्राप्ति नहीं हुई थी।  अब जबकि मेरे अंदर का अहं मिट चुका  है, तब मुझे ईश्वर की प्राप्ति हो गयी है।  जब मैंने  ज्ञानरूपी दीपक के दर्शन कर लिए, तब अज्ञान रूपी अंधकार मिट गया अर्थार्त अहं भाव को त्याग कर ही मनुष्य को ईश्वर की प्राप्ति हो सकती है।  
 "हरि है", "दीपक देख्या" में अनुप्रास अलंकार है। 
"मै" शब्द अहं भाव के लिए प्रयोग किया गया है। 
कक्षा कार्य 
साहित्य कॉपी में दोहो के साथ उसकी व्याख्या लिखिए। 
गृह कार्य 

कबीर के अनुसार कैसी वाणी बोलनी चाहिए और क्यों ?
कस्तूरी कहाँ बसती  है ?
कबीर  के अनुसार ईश्वर कहाँ निवास करता है ?          
किसी भी तरह की असुविधा होने पर संपर्क करें। 
कार्य पूरा होने पर कबीर के इस गीत का आनंद उठाइये
घर पर रहें और सुरक्षित रहें।

  

56 comments:

  1. Good morning ma'am
    Ayaan Edward, X-D

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  2. Good morning ma'am
    Madhur Basra

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  3. Good morning ma'am
    Joshua joseph

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  4. Good morning, Ma'am.
    Akshat Verma.

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  5. Good morning ma’am
    Swyam Kapoor

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  6. Good morning ma’am
    Aryan Anand

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  7. Good morning ma'am

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  8. Good morning ma’am
    Kshitij Jain

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  9. Good morning ma'am
    Aarohan Dayal X-A

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  10. Good morning ma'am
    Abhay Goel X-A

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  11. Good morning Ma'am-Albin Paulose X-A

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  12. Good morning maam
    Hemang Nagpal
    10A

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  13. Good Morning ma’am
    DARSH KHANAGWAL
    X-A

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  14. Good morning Mam
    From Jeremiah Paul
    Class X-A.

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  15. Good morning ma'am
    Ryan Stephen 10A

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  16. Good morning ma'am
    Madhav Sachdeva
    X-A

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  17. Good Morning Ma'am,
    Sidharth Jain
    X-A

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  18. Good morning maam
    Anuj Xavier
    X-A

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  19. Good morning ma'am
    SHAAN DEEP YADAV
    10-A

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  20. Good Morning ma'am
    Mohd. Areeb Alam
    X- A

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  21. God morning maam
    Brian Peter Massey
    X-A

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  22. Good morning ma'am
    -Geet X-A

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  23. Good morning, ma'am
    Ishaan Shah X-A

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  24. Good morning ma'am
    -Rishit Shrivastwa

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