Tuesday, March 24, 2020

डायरी का एक पन्ना -२


                                                    डायरी का एक पन्ना  
कल हमने  पढ़ा :
२६जनवरी १९३१ का महत्व .
सरकार व स्वतन्त्रता सेनानी द्वारा इस दिन की कलकत्ता में  तैयारी .
आज हम सीखेंगे:
पिंजरे में बंद पक्षी या रस्सी से बँधा जानवर आज़ाद रहना चाहता है क्योकि स्वतंत्रंता हमारा मौलिक अधिकार है भारतवासियो ने इस के लिए संघर्ष किया पृष्ठ ७१ ये ही सिखाता है
तारा सुंदरी पार्क में कांग्रेस कमेटी के युद्ध मंत्री हरीशचंद्र झंडा फहराने गए वे भीतर न जा सके.
पुलिस व स्वतंत्रता सेनानियों के बीच संघर्ष हुआ जिसमे चार लोग घायल हुए
सुभाषचंद्र बोस के जलूस का भार पूर्णोदास पर था
सुभाष बाबू और उनके साथियों को चौरंगी पर रोका गया उन पर लाठियाँ चलायी गयी
क्षितीश  चटर्जी का सर फट गया
आज की बात निराली थी
कानून भंग का काम इतनी बड़ी सभा के रूप में आज तक नहीं हुआ था
यह ओपन लड़ाई थी
पुलिस कमिश्नर ने नोटिस निकला कि अमुक -अमुक धारा के अनुसार कोई सभा नहीं हो सकती थी
इंस्पेक्टरों द्वारा सभी काम करने वालो को सूचना दी गयी कि सभा में भाग लेने वालों को दोषी माना जायेगा
कॉन्सिल के नोटिस अनुसार चार बजकर चौबिस मिनट पर मोनुमेंट के नीचे झंडा  फहरया जाएगा और प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी
सभी देशभक्त इसमें भाग लें यह एक खुला चैलेंज था
कक्षाकार्य मौखिक  प्र ५,  
गृहकार्य मौखिक प्र २
लिखित  (क)- प्र २ ,   (ख ) प्र ३
 निर्देश
पृष्ठ ७१ अनुच्छेद   “११ बजे -----  पुरषोत्तमराय”   कल करवाया जायेगा
किसी भी तरह की असुविधा होने पर संपर्क करे।
खुश रहें सुरक्षित रहें

6 comments: